लोकसभा इलेक्शन का खर्च कितना होता है?

लोकसभा इलेक्शन - Loksabha Election


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लोकसभा इलेक्शन का खर्च :

देश मे अब इलेक्शन की घोषणा हो चुकी है और 7 टप्पे मे मतदान होने वाला है। मतदान शुरू होने के लिए अब भी एक महीने का समय है और जब मतदान होंगा उसके बाद डेढ़ महीने के बाद ही मतमोजणी होने वालीं हैं। पूरे विश्व की सबसे बड़ी लोकशाही के नाम से भारत को जाना जाता है इसी वजह से से ईन इलेक्शन पर खर्च भी बहोत ज्यादा होता है। देश मे पहली बार इलेक्शन 1951 - 52 हो गए थे। 

सन 1951-52 की लोकसभा इलेक्शन के लिए सरकार को 10.5 करोड़ का खर्च आया हुआ था। जब कि अब इससे कई ज्यादा खर्च किए जाते हैं। पिछले 10 साल मे लोकसभा के इलेक्शन के लिए 3,870 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। जब कि 2024 की इलेक्शन मे यह खर्च बढ़ने वाला है। 5,430 करोड़ रुपये 2017 से लेकर 2020 तक EVM खरीदने के लिए खर्च किए जा चुके हैं। 321 करोड़ रुपए निवडणूक आयोग को इस साल के खर्च के दिए जा चुके हैं। 1,003 करोड़ की लागत इलेक्शन के और खर्च के लिए की जा चुकी है। 

79 करोड़ रुपये मतदाता के वोटर कार्ड के लिए खर्च की जा चुकी है और इसे बनाने के लिए 404 करोड़ रुपये लगे हुए हैं। 1,000 करोड़ रुपये अब होने वाले इलेक्शन के और खर्चों के लिए लगने वाले है। 2,442 करोड़ की लागत इस साल होने वाले लोकसभा इलेक्शन के लिए होने वालीं हैं। 2,183 करोड़ की लागत 2023 इलेक्शन के लगने वालीं हैं।

इलेक्शन खर्च की जिम्मेदारी किन पर होती हैं? 

लोकसभा इलेक्शन का खर्च केंद्र सरकार उठाती हैं। निवडणूक आयोग के प्रशासकीय काम के साथ मतदाता पहचान पत्र बनाने, सुरक्षा देने, मतदाता केंद्र खडा करने, EVM खरीदारी करने और मतदान के लिए समाज मे जनजागृती जैसे कार्यक्रम को आयोजन करने यह सभी निवडणूक आयोग करता है।