Chatrapati Shivaji Maharaj | छत्रपती शिवाजी महाराज और उनके वाघ नख

Chatrapati Shivaji Maharaj

छत्रपती शिवाजी महाराज के वाघ नख को महाराष्ट्र राज्य में लाने के लिए महाराष्ट्र के संस्कृतिक मंत्रालय ने लंदन के विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय से समझोता पर हस्ताक्षर किए गए हैं। वाघ नख को तीन वर्षो की अवधि के लिए ऋणात्मक आधार पर राज्य के सभी संग्रहालयों में प्रदर्शित किया जाएगा।

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वाघ नख का इतिहास :

वाघ नख का सामान्य अर्थ होता है कि बाघ का पंजा ये एक विशिष्ट मध्य कालीन खंजीर है। जिसका उपयोग भारतीय उपमहाद्वीप में किया जाता है। जिसमें पांच घुमावदार ब्लेड जो कि व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए, गुप्त सुरक्षा के लिए पास में रखे जाते थे।


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वाघ नाखूनों का उपयोग :


कोकण क्षेत्र में शिवाजी महाराज की मजबूत पकड़ थी। शत्रु के अभियानो को कमज़ोर करने के लिए बीजापुर के सेनापति अफजल खान और छत्रपति शिवाजी महाराज के बीच मूठ भेड़ हुई यहा पर महाराज पूरी तैयारी के साथ आए थे।

आपसी संघर्ष में छत्रपति शिवाजी महाराज उनपर हमला करते हैं और इस के बाद अफजल खान की मृत्यु हुई। अंततः शिवाजी महाराज जीत गये।

छत्रपति शिवाजी महाराज के सबंधित जानकारी :


जन्म - 19 फेब्रुवारी 1630
महाराष्ट्र के पुणे जिले में शिवनेरी किले पर हुआ था। वह बीजापुर सल्तनत के तहात पुणे और सुपे की जागीरदार रखने वाले मराठा सेनापति शहाजी भोसले तथा एक धार्मिक महिला जिजाबाई के पुत्र थे। जिनका छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन पर काफी प्रभाव पड़ा था।


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छत्रपति शिवाजी महाराज की मृत्यू :


महाराज की मृत्यू की वर्ष 1680 में रायगड मे हुईं थीं। उनका अंतिम संस्कार रायगढ़ किले पर किया गया था। साहस, युद्ध नीति, प्रशासकीय कौशल, सम्मान के खातिर हर वर्ष 19 फेब्रुवारी को हर साल छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती मनाई जाती है।

स्त्रोत : drishti ias, इंडियन एक्सप्रेस