मदनलाल धिंग्रा
बंगाल की फाळणी विरुद्ध शुरू हुए आंदोलन ने विशाल रूप धारण किया था। अंग्रेजी सरकार आंदोलन दडपणे मे लगी हुई थी। इस दौरान नए क्रांतिकारक भी सामने आये इसमे से एक थे मदनलाल जी थे। उनका जन्म 18 सप्टेंबर 1883 मे पंजाब मे अमृतसर में हुआ था। 1900 साल में वो सरकारी महाविद्यालय मे चले गए और उन्हें वहा पर स्वराज मिलने के लिए राष्ट्रीय आंदोलन की जानकारी मिल गई।।उणे वह नए विचार मिल गए जो कि स्वतंत्रता के लिए चाहिए थे। हुआ ऐसा की उनके महाविद्यालय में विदेशी कपड़ों की स्टॉल लगने शुरू हो रहे थे इसके बाद मदनलाल जी ने विरोध दर्शा ते हुए स्टॉल निकले गए। इस घटना ने चळवळ के लिए आकर्षित हो गए। 1905 को वो लंडन चले गए। वो वह पर इंडिया हाउस मे रुके हुए थे। वह पर उनकी भेट वीर सावरकर के साथ हो गई। सावरकर इंडिया हाउस के व्यवस्थापक थे इस दौरान 8 जून 1909 को सावरकर के बड़े भाई गणेश सावरकर की इंग्लैंड मे से निकला गया वो अंग्रेज के खिलाफ लिखते थे। इस वज़ह से लंडन मे के भारतीय क्रांतिकारक जाग उठे और इस दौरान कर्जन वायलि ने जानकारी जमा करना शुरू कर दिया था। कर्जन के वज़ह से ही क्रांतिकारी की जान खतरे में आ गई थी। शाम जी कृष्ण वर्मा जी के दी इंडियन सोशलिस्ट अंक मे वायलि को निर्दयी बताया गया था। इसके बाद मदनलाल जी ने 1 जुलै 1901 को लंदन के इम्पीरियल इंस्टीट्यूट में सभा में कर्जन की हत्या की। यह घटना के बाद उन्होंने सरकारी वकील लेने से भी इंकार कर दिया था। मुझे दी गई शिक्षा से मुजे कोई संकोच नहीं है। उलट पर मुझे अपने देश की जीवन अर्पण करने का मौका मिला रहा है इसका मुझे बहोत आनंद है ऐसा कहा था। 17 ऑगस्ट 1909 रोज केवल 26 वर्ष की उम्र में पेंट विले जेल में फासी दी गई थी। एनी बेंत ने कहा था कि देश में ऐसे और मदनलाल पैदा होने की जरूरत है। मदनलाल के स्मरणार्थ जर्मनी मे मदन तलवार नामक मासिक शुरू किया और इस मासिक की ज़िम्मेदारी मैडम भिकाजी कामा जी ली थी।